Saturday, February 1, 2014

'सोशल मीडिया के इतने सारे प्लेटफार्म... समझ नहीं आता किस पर खोलें एकाउंट'

एंडी और कुकी जू में घूमने आए थे. एंडी ने मोबाइल से कुकी और उससे लगे बाड़े के पीछे भालू की फोटो क्लिक की. उसके बाद फोटो शेयर करते हुए एंडी ने कुकी से पूछा, 'तुम वाट्सऐप पर नहीं हो क्या?' कुकी ने जवाब दिया, 'यार सोशल मीडिया के इतने सारे प्लेटफार्म हैं. समझ नहीं आता किस पर एकाउंट बनाऊं? कोई फेसबुक पर है तो कोई ट्विटर पर, कोई लिंकडिन पर तो कोई वाट्ऐप पर... ये तो थे ही अब वाइबर, वी चैट, पिनट्रेस्ट... हर महीने एक नया सोशल मीडिया इंट्रोड्यूज हो जाता है... एफबी और ट्विटर पर तो हूं लेकिन बाकी का मुझे समझ नहीं आता...' एंडी ने कहा, 'हर सोशल मीडिया अलग-अलग चीजों के लिए है. किसी भी सोशल मीडिया पर कोई भी एकाउंट खोल सकता है. इस प्लेटफार्म का यूज काफी सोच-समझ कर करना चाहिए. यह जरूरी नहीं कि हर प्लेटफार्म पर आपका एकाउंट होना ही चाहिए.' कुकी ने झल्ला कर कहा, 'यार तुम फिर से शुरू हो गए... पहेलियां मत बुझाओ... सीधे-सीधे बताओ...' एंडी ने कहा, 'तो सोशल मीडिया के बारे में किसे कन्फ्यूजन है? अब बता रहा हूं तो सुनने को तैयार नहीं हो...' कुकी ने कहा, 'ये लो! जानना कौन नहीं चाहता...? अरे यार ठीक से समझाओ ना... टू दी प्वाइंट.'



फ्रेंड सर्किल, प्रोफेशन और जरूरत के हिसाब से चुनें सोशल मीडिया प्लेटफार्म
एंडी ने कहा, 'अपनी फ्रेंड सर्किल देखो इसी से तुम्हें अंदाजा लग जाएगा कि तुम्हे किस सोशल मीडिया पर एक्टिव होना चाहिए. जैसे तुम घूमने-फिरने, मौज-मस्ती और पार्टी वगैरह किसके साथ करती हो? जाहिर सी बात है अपने फ्रेंड, कलीग और रिश्तेदारों के साथ. है ना! तो इनमें से ज्यादातर लोग जिस सोशल मीडिया पर एक्टिव हों उसी पर तुम भी अपना एकाउंट बना लो. फर्ज करो किसी तुमने किसी नए सोशल मीडिया पर अकाउंट बना लिया तो जरूरी नहीं कि तुम्हारे सारे जानने वाले उस पर एक्टिव ही हों. हो सकता है कोई भी ना हो? तब अकेली उस पर क्या करोगी?' कुकी ने कहा, 'यार एफबी पर तो सब हैं. फिर वाट्सऐप जैसे प्लेटफार्म की क्या जरूरत?' एंडी ने कहा, 'देखो एफबी और गूगल प्लस एक सोशल नेटवर्किंग साइट है और वाट्सऐप मोबाइल इंस्टेंट मैसेंजर. जैसे एफबी पर तुम अपनी फूड कम्युनिटी बना सकती हो और एक पेज बनाकर रेसिपी रिलेटेड आर्टिकिल, पिक्स और वीडियो शेयर कर सकती हो. लोग उसे फॉलो करेंगे और कमेंट भी करेंगे. फॉर एग्जांपल अभी मैंने तुम्हारी पिक क्लिक की और बट वाट्सऐप पर तुम्हें तुरंत शेयर कर दूंगा. इससे छोटी सी वीडियो क्लिप या टेक्स्ट मैसेज भी भेज सकते हैं. वन टू वन इंस्टेंट मैसेजिंग के लिए इस तरह के प्लेटफार्म एकदम परफेक्ट हैं. लेकिन ऐसे प्लेटफार्म पर कम्युनिटी या फॉलोअर जैसी फैसेलिटी नहीं मिलेगी.'

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मैसेजिंग के साथ फ्री कॉलिंग और वीडियो चैट
कुकी ने पूछा, 'अब समझ में आ रहा है. जरा ठीक से समझाओ... कौन सा प्लेटफार्म किसलिए है...?' एंडी ने कहा, 'ये तो तुमने मुझे अच्छा-खासा काम दे दिया. देखो डिटेल में तो फिर कभी पर अभी शॉर्टकट में तुम्हें कुछ प्लेटफार्म के बारे में बता रहा हूं.' कुकी ने कहा, 'मुझे भी डिटेल में नहीं जानना, शॉर्टकट में ही बता दो.' एंडी ने कहा, 'एफबी तो लगभग तुम्हें समझ आ ही गया, ट्विटर भी माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ही है. इस प्लेटफार्म पर किसी करेंट मुद्दे पर सेलेब अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं जिसे ट्विट कहते हैं. और फैंस अपने पसंदीदा एक्टर-एक्ट्रेस, प्लेयर्स, पॉलिटिशियंस, ऑर्गेनाइजेशंस या न्यूज साइट्स को फॉलो करते हैं.' एक पेड़ से टेक लगाकर खड़े एंडी की तस्वीर क्लिक करते हुए कुकी ने कहा, 'माइक्रो ब्लॉगिंग की बात तो समझ गई. ये इंस्टेंट मैसेंजर क्या है?' एंडी ने दूसरी पिक के लिए पोज बदलते हुए कहा, 'जरा इस पोज में मेरी एक पिक क्लिक करो. एफबी पर स्टेटस अपडेट करने के काम आएगी.' कुकी ने कहा, 'ज्यादा मॉडलिंग मत करो, जो पूछा है वो बताओ...' एंडी ने कहा, 'हां-हां बता रहा हूं. देखो वन टू वन इंटरेक्शन के लिए तुम मोबाइल इंस्टेंट मैसेंजर टाइप सोशल मीडिया जैसे वाट्सऐप, वाइबर या वी चैट कर यूज कर सकती हो, जिस पर तुम्हारे जान-पहचान के ज्यादा लोग एक्टिव हों. वाट्स ऐप पर पिक, वीडियो या टेक्स्ट शेयर कर सकती हो, वाइबर पर इन सबके साथ फ्री में कॉल कर सकते हैं और वी चैट में इन सबके साथ आप वीडियो चैट कर सकते हैं.' कुकी ने कहा, 'तब तो इनमें से वी चैट ज्यादा अच्छा है.' एंडी ने कहा, 'नहीं ऐसा नहीं है. इसके लिए तुम्हारे फोन की नेट स्पीड ठीक होनी चाहिए और तुम्हारे जान-पहचान वाले लोग इस प्लेटफार्म पर एक्टिव होने चाहिए.'

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इंस्टेंट मैसेंजर्स पर फोन नंबर से बनते हैं एकाउंट, इसलिए ज्यादा सिक्योर
कुकी ने कहा, 'हां ये तो तुमने पहले ही बता दिया था. वैसे ये बताओ एफबी पर तो कोई भी फेक एकाउंट बनाकर किसी को परेशान कर सकता है जैसे गोगी वाला मामला... तो इतने सारे प्लेटफार्म यानी ज्यादा मुसीबत?' एंडी ने कहा, 'नहीं ऐसा नहीं है. एफबी पर तो कोई भी फेक एकाउंट बना सकता है और पकडऩा थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन इंस्टेंट मैसेंजर्स पर एकाउंट खोलने के लिए फोन नंबर जरूरी है. इस नेटवर्क में तुम्हारे फोन के कांटेक्ट लिस्ट वाले ही होते हैं इसलिए कोई गड़बड़ करेगा तो तुरंत पकड़ में आ जाएगा.' इतनी देर में कुकी ने वाट्सऐप डाउनलोड करके एंडी की एक पिक शेयर करते हुए बोली, 'यार इस लिहाज से तो हम यह कह सकते हैं कि ये ज्यादा सिक्योर हैं.' एंडी ने अपने फोन पर वाट्सऐप खोल कर पिक देखी और बोला, 'हां. अरे वाह! तुम भी वाट्सऐप पर.' कुकी ने पूछा, 'वाटसन को कई बार मैंने लिंकडिन पर लॉगिन करते देखा है. ये क्या है?' एंडी ने कहा, 'ये भी सोशल मीडिया का ही एक प्लेटफार्म है. इसका यूज ज्यादातर एक ही प्रोफेशन के लोग करते हैं. जो लोग इससे जुड़े होते हैं उनके रिश्ते ज्यादातर प्रोफेशनल होते हैं. वे आपस में अपने प्रोफेशन और उससे जुड़ी एक्टिविटीज के बारे में ही चर्चा करते हैं. इसकी नेटवर्किंग में लोग अपने फील्ड में अवसर और ताजा डेवलपमेंट से अपडेट रहते हैं.'



सोशल मीडिया के प्लेटफार्म
1- सोशल नेटवर्किंग : फेसबुक, लिंकडिन, गूगल प्लस
2- मीडिया शेयरिंग : यू-ट्यूब, फ्लिकर, इंस्टाग्राम
3- माइक्रो ब्लॉगिंग : ट्विटर
4- मोबाइल इंस्टेंट मैसेजिंग : वाट्सऐप, वाइबर, वी चैट



सोशल मीडिया की ताकत :
1- कानून बना सकती है : 2011 में अन्ना हजारे अपने साथियों के साथ जन लोकपाल के लिए आंदोलनरत हुए. फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से देश भर में यह आंदोलन फैला और सरकार पर दबाव बना. अंतत: न चाहते हुए भी सरकार और पक्ष-विपक्ष की पार्टियों ने मिलकर संसद में यह बिल पास किया.
2- सरकार बना सकती है, गिरा सकती है : दिल्ली में कांग्रेस की सरकार के खिलाफ अन्ना के सहयोगी रहे अरविंद केजरीवाल ने घर-घर जाकर लोगों को भ्रष्टचार मुक्त प्रशासन का भरोसा दिलाया और सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बात हर प्लेटफार्म तक पहुंचाया. विधानसभा चुनाव के बाद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को 70 में से 28 सीटें मिली. कांग्रेस ने उन्हें सरकार चलाने के लिए चैलेंज स्वरूप समर्थन दिया. केजरीवाल ने इसी प्लेटफार्म के माध्यम से सरकार बनाने के लिए जनमत संग्रह कराया.
3- लोगों से सीधा संवाद : गत वर्ष बीजेपी के पीएम कैंडीडेट नरेंद्र मोदी ने गूगल हैंगआउट के माध्यम से लोगों से सीधा संवाद किया. लोगों ने उनसे हर मुद्दे पर सवाल पूछे और उन्होंने जवाब दिए. बाद में केंद्र सरकार के कई मंत्री गूगल हैंगआउट के जरिए लोगों से रूबरू हुए.
4- जागरुकता : दिल्ली में हुए गैंगरेप के विरोध में दिल्ली में कई दिनों तक आंदोलन चला. सोशल मीडिया की ही देन थी कि यह आंदोलन देश भर में फैल गया और सरकार को लोगों की आलोचना का शिकार होना पड़ा. सरकार दबाव में आई और रेप पर कड़ा कानून पारित किया गया.
5- हेट : हालांकि इस प्लेटफार्म की अपनी खामियां भी हैं. न्यू मीडिया होने के कारण इसके कानूनी पहलू से लोग अनजान हैं, जिसका कई बार अराजक तत्व फायदा उठा लेते हैं. कई बार यू-ट्यूब पर हेट वीडियो अपलोड कर दिए गए जिससे दो समुदायों में हिंसा तक भड़क उठी. इसी तरह फेसबुक पर साइबर स्टाकिंग और साइबर बुलिंग से आजिज आकर कइयों ने सुसाइड तक कर लिया.

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